वक्त की महानता देखो , वह सबको वक्त पर देता है , वक्त की विषमता देखो , एक वक्त मे देता हैं , दूसरे मे लेता है , वक्त की निर्दयता देखो , एक वक्त मे हँसाता है , दूसरे मे रुलाता है , वक्त का अहं देखो , वो पीछे मुड़ कर नहीं देखता है, वक्त की भिग्यता देखो , वो वक्त की पहचान बतलाता है , वक्त की गतिमिता देखो , वह रोके नहीं रुकता है , वक्त की दवा देखो , वो समस्त घावों को सूखाता है , वक्त का आईना देखो , वह कर्म के परिणाम को बताता है , वक्त की पुकार देखो , वो सबको साथ चलने का आहान करता है , वक्त की सहिर्दायता देखो , वह लौट कर एक बार फिर आता भी है स्वर्ण कौर