इस डाल पर नित भोर तू आती
मिस्री सी मिठास लिए संगीत में
जन जीवन की गतिशीलता बढ़ाती
तेरा करुण राग मेरे भावहीन मन को
रचनात्मक कल्पनाओं से तृप्त कर देता है
चौखट पर बैठ निहारती हूँ अकस्मात
तेरे बोल में छुपे सन्देश को समझ पाने के लिए
शायद हमारा पूर्ण जुड़ाव नहीं हो सका है
तभी तो तेरे कु कु की आवृत्ति
सभी को अनबुझी पहेली मालूम होती है
एक बात बड़ी गहरी जान ली है मैंने
तू कल भी सरल थी आज भी है
तेरी वाणी में तेजस और क्रांति है
नज़र वही नजारे वही पर देखने का तरीका बदल गया
तू वही है, संसार वही है पर मनुष्य बदल गया
तेरे बोल में छुपे सन्देश को समझ पाने के लिए
शायद हमारा पूर्ण जुड़ाव नहीं हो सका है
तभी तो तेरे कु कु की आवृत्ति
सभी को अनबुझी पहेली मालूम होती है
एक बात बड़ी गहरी जान ली है मैंने
तू कल भी सरल थी आज भी है
तेरी वाणी में तेजस और क्रांति है
नज़र वही नजारे वही पर देखने का तरीका बदल गया
तू वही है, संसार वही है पर मनुष्य बदल गया
Beautifully woven..just loved it..
ReplyDeleteI am elated that you loved it, Ranita ji :)
DeleteThank you!
नज़र वही नजारे वही पर देखने का तरीका बदल गया
ReplyDeleteतू वही है, संसार वही है पर मनुष्य बदल गया
एकदम सत्य कहा है आपने सिमरन जी मनुष्य बदल गया बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
आपके निरंतर यहाँ आने एवं मेरी रचनाओं पर टिप्पड़ी करने से मुझे प्रोत्साहन मिलता है। मैं आपको दिल से धन्यवाद देना चाहती हूँ। बेहद ख़ुशी हुई की आपने इस कविता की सबसे एहम पंक्तियों को गहरी समझ के साथ पढ़ा और एहसास किया। आपकी बात आपके पाठकों तक सही पहुंच जाये उससे अच्छी बात और क्या होगी।
DeleteSpeechless ... I get inferiority complex reading your blog nowadays :p
ReplyDeleteYou have really grown into an awesome poetess ... your words polished and expressions so true ... loved it buddy :-)
Ohh! You are such an Awesome writer. You need not feel so ...
DeleteThat's all because of your constant encouragement and true views on my work. Glad to find a gem here :)
Thank you, Emerald! :D
I agree with Amrit, I get inferiority complex reading your blog :) Absolutely beautiful.
DeleteYou need not, Dearo :)
DeleteSurprised to have a rare compliment from you. Thanks!
पहली बार मैंने आपकी कविता हिन्दी में पढ़ी है
ReplyDeleteयह वास्तव में बहुत सुंदर है
और दिल को छू लेती है..
आपका दोस्त सुलैमान
मुझे यह जान कर बेहद ख़ुशी हुई की इस कविता ने आपका दिल छू लिया। आपके शब्दों से मेरा उत्साह और भी बढ़ गया है। बहुत बहुत धन्यवाद
DeleteIt took a while reading this poem dear! but beautiful poem...Esp last lines...Hope people don't change and protect our nature and environment :)
ReplyDeleteGlad you read and received the exact message. Thanks Valli dear :)
Deleteमनुष्य ने तो वह वृष ही नहीं छोड़े की कोई उनपर आकर कू कू कर सके , उत्तम रचना
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा। आप जैसे उच्च कोटि के हिंदी कवि की टिप्पड़ी पढ़कर मुझे ख़ुशी हुई। आपका मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है। धन्यवाद
DeletePlease say you are not in late teens. Say you are 20+. This is so damn good for someone as young as you. :)
ReplyDeleteHahah...that's really sweet of you, Saru dear ^_^
DeleteThanks a lot <3
Very good! Tiz good your pen has new language.
ReplyDeleteGlad to have you here. Thank you, Sir :)
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