मंजिल की तलाश में बंद आँखों में सपने संजोये हैं
खुली आँखों में मंजिल की तलाश लिए हम रात भर न सोये हैं
ये कश्ती , ये मांझी ,
ये सागर के गहराई,
वो साहिल का किनारा ,
ये कश्ती बिन मांझी के,
सागर की तेज लहरों में बिन किसी सहारे के ,
गुन - गुनते सुरों में गिरते संभलते चलते चले हैं ..
बुलंदियों को छुने निकला है बंजारा दिल अरमानो को भरे ,
ये लहरें जो कहती हैं ''संभल के चलो ''
ये हवाएं कहती हैं ''बढ़ते चलो ''
ये पंछी जो कहते हैं '' गुनगुनाते चलो''
ये बुलंद होसले कहते हैं '' छु ले अपने अरमानों का आसमान ,
जमी की तलाश न कर ,
जीतने से पहले हारे के डर से न डर
loved it Simran...its very well written..
ReplyDeleteThe ship is sailing in search of it's destiny. destiny is unknown but efforts known that know to strive honestly till the end. wish you all the best in the unknown journey ahead.
ReplyDeleteloved the poem:)
we have destination . . . still wander aimlessly. .Trust the dreams, for in them is hidden the gate to eternity. nice poem.
ReplyDeleteWow!!!!!
ReplyDeleteLoved it....specially the few last lines...
ये बुलंद होसले कहते हैं '' छु ले अपने अरमानों का आसमान ,
जमी की तलाश न कर ,
जीतने से पहले हारे के डर से न डर
Didn't understand but visited just for my Simi's sake.
ReplyDelete-POSH
Sweet sweet simmi ki sweet sweet kavita.. interesting.. loved portia's comment too.. :D
ReplyDeleteI just wonder what to type here.. I have no words to match the one above..
ReplyDeleteSomeone is Special
Awesome...
ReplyDeleteBeautifully written Simran...
ReplyDeleteVery touching!
Have a wonderful week ahead:)