उडूगी मै खुल कर आज ,
आने न दूंगी अपने सपनों पर आंच ,
चाहे कितनी भी आ जाये अड़चने ,
डट के लडूंगी ,
पीछे नहीं हटूंगी ,
अपने सपने सच करुँगी ,
तैयार हु मै हर बाज़ी के लिए ,
तैयार हु मै खुद को साबित करने के लिए ,
अपने उसूलों को न छोडूंगी,
अपने होसलें को न टूटने दूंगी ,
यूही अपने सपनों को न जलने दूंगी ,
उडूगी मै खुल कर आज ,
आने न दूंगी अपने सपनों पर आंच ,
चाहे कोई भी ताकत रोक ले आज ,
नहीं गिरा पाएगा मेरे सपनों पर गाज ,
क्यूंकि मै न मनूगी हार ,
कर दूंगी हर मुसीबत को तार तार
ये उस हारे हुए व्यक्तित्व की आवाज़ है जो हार के भी मन से जीता है और वास्तव मै जीतने का जस्बा रखता है और एक पंची की तरह खुल कर ऊँची उड़ान भरना चाहता है
That's the true spirit of living your life... Sundar shabd, sundar vichaar, yehi zindagi jeene ka sahi tarika hai :)
ReplyDeletebahut umda rachna hai....simran u r sound like a mature ad experienced warrior...and a survivor....
ReplyDeleteawesome poem with right words...
keep writing...
thanks simran dear! your blog is very good! God bless u!nice meeting u!
ReplyDelete@Arti
ReplyDeleteThank you so much ,arti :)
Love and care
@Hemu di,
ReplyDeleteThank you for such encouraging words!
They means a lot to me :)..
Love you :)))
@D.BEENA
ReplyDeleteAfter so many days you came..
Happy to see you :)
Thank you so much,..
Keep visiting ..