इस डाल पर नित भोर तू आती मिस्री सी मिठास लिए संगीत में जन जीवन की गतिशीलता बढ़ाती तेरा करुण राग मेरे भावहीन मन को रचनात्मक कल्पनाओं से तृप्त कर देता है चौखट पर बैठ निहारती हूँ अकस्मात तेरे बोल में छुपे सन्देश को समझ पाने के लिए शायद हमारा पूर्ण जुड़ाव नहीं हो सका है तभी तो तेरे कु कु की आवृत्ति सभी को अनबुझी पहेली मालूम होती है एक बात बड़ी गहरी जान ली है मैंने तू कल भी सरल थी आज भी है तेरी वाणी में तेजस और क्रांति है नज़र वही नजारे वही पर देखने का तरीका बदल गया तू वही है, संसार वही है पर मनुष्य बदल गया