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Showing posts from June, 2014

मनुष्य बदल गया है

इस डाल पर नित भोर तू आती  मिस्री सी मिठास लिए संगीत में  जन जीवन की गतिशीलता बढ़ाती   तेरा करुण राग मेरे भावहीन मन को   रचनात्मक कल्पनाओं से तृप्त कर देता है  चौखट पर बैठ निहारती हूँ अकस्मात  तेरे बोल में छुपे सन्देश को समझ पाने के लिए  शायद हमारा पूर्ण जुड़ाव नहीं हो सका है  तभी तो तेरे कु कु की आवृत्ति  सभी को अनबुझी पहेली मालूम होती है  एक बात बड़ी गहरी जान ली है मैंने  तू कल भी सरल थी आज भी है  तेरी वाणी में तेजस और क्रांति है  नज़र वही नजारे वही पर देखने का तरीका बदल गया तू वही है, संसार वही है पर मनुष्य बदल गया